
तनाव (Stress) आजकल दैनंदिन जीवन का एक भाग हो गया है, पहले के जमाने में शारीरिक कष्ट के ज्यादा काम होते थे मगर आजकल तनाव भरे काम से भरी हुई है जिंदगी। कई लोग तनाव से मुक्ति पाने के लिए कई घरेलू उपाय करते हैं बहुत सारे सोशल मीडिया पर कई नुस्खे बताए जाते हैं अगर खुद के शरीर को तनावमुक्त ना किया जाए तो अपना शरीर विकार से भर जाएगा इसीलिए तनाव (Stress) को शरीर से मुक्त करना काफी जरूरी है।
घरेलू उपाय में पैरों का मालिश करना, सिर की चंपी करना तेल से, meditation करना, आहार में थोड़ा सा बदलाव लाना, अच्छी से अच्छी नींद लेना, ऐसी कई चीजें की जाती है जिसके वजह से थोड़ा बहुत आराम पड़ जाता है। मगर इन सारी चीजों से तनाव थोड़ी देर तक ही अपने से दूर होता है मानसिक तनाव बढ़ने के कारण जो कुछ भी शारीरिक बदलाव आते हैं वह बदलाव सुधारने जरूरी होते हैं जिसकी वजह से विकार की उत्पत्ति नहीं होती। ऐसे कई उपाय आयुर्वेद में मानसिक तनाव (Ayurvedic treatment for Stress and Strain) कम करने के लिए बताए गए हैं।
जब शरीर तनाव से भरा हुआ रहता है तब शरीर की क्रियाएं बढ़ानी चाहिए , जिसके वजह से मानसिक संतुलन बना रहे। जब मानसिक तनाव शरीर में बढ़ता है तब दिमाग की कुछ ग्रंथियां अलग से काम करने लगती है जिसके वजह से शारीरिक संतुलन भी कभी-कभी बिगड़ जाता है इन सब चीजों के लिए आयुर्वेदिक उपाय मतलब चिकित्सा पद्धति जो तनाव के लिए बताई गई है वह करनी जरूरी पड़ती है। ऐसे ही कुछ चिकित्सा पद्धति नीचे वर्णित किए गए हैं।
तनाव (Stress) कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपाय(Ayurvedic Treatment in Marathi for Mental Stress and Strain):-
१. सर्वांग स्नेहन –
इस चिकित्सा में पूरे शरीर को औषधि तेल से मालिश किया जाता है जिसके वजह से शरीर का रक्त स्त्राव बढ़ जाता है जब मानसिक तनाव से कोई गुजरता है तो ज्यादातर शारीरिक रक्तस्राव कम होकर ज्यादा से ज्यादा स्त्राव दिमाग की तरफ घूम जाता है जिसकी वजह से शरीर में थकावट महसूस होती है और जब हम मालिश द्वारा रक्त स्त्राव को बढ़ाने की कोशिश करते हैं तब यह थकावट कम होती है और शरीर में प्रफुलता महसूस होती है।
२. सर्वांग स्वेदन-
इस क्रिया में सारे शरीर को स्टीम देते हैं भाष्प देते हैं। यहां भाष्प औषधी काढ़ो से बनाया जाता है जिसमे तनाव मुक्ति के दवाइयां डाली जाती है।
३. शिरोधारा-
इस क्रिया में माथे पर तेल की धारा छोड़ी जाती है और यह तेल औषधि द्रव्य से सिद्ध रहता है शिरोधारा में जो धारा माथे पर गिरती है उसकी धारा की गति स्थिति के कारण अंदर के ग्रंथियों पर परिणाम दिखाई देता है और मानसिक तनाव कम होता है इसकी गति और स्थिति रुग्न की स्थिति पर निर्भर रहती है।
इसने घुटनों से नीचे पैरों की मालिश की जाती है अपने पैरों में कई सारे पॉइंट्स होते हैं जिसकी वजह से शारीरिक रक्तस्त्राव बढ़ता है और तनाव कम करता है।
4 . सर्वांग धारा –
यह क्रिया पूरे शरीर पर तेल या फिर औषधि काढ़ा के धारा को कहा जाता है। पूरे शरीर का रक्त स्त्राव इससे बढ़ने वाला है और अपने आप मानसिक तनाव कम होते दिखाई देता है।
5. अवगाह स्नान –
इसमें पूरे शरीर को सुगंधी द्रव्य और औषधि द्रव्य
के कढ़ो में , डूबा कर रखते हैं मतलब tub bath जैसे।
इन सारी उपायों से मानसिक तनाव से जो कुछ भी अपाय होने वाले हैं वहां नहीं होते और शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है।
About Dr. Nyanisha Desai- Director Of Pradnya Ayurveda
प्रज्ञा आयुर्वेदिक मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल (Pradnya Ayurveda Multispecialisty) की निदेशक डॉ. नयनिशा देसाई हैं। 2009 में, उन्होंने आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज, पेठ वडगाँव, कोल्हापुर में अपना BAMS पूरा किया। वह 2011 से चिंचवड, पुणे में आयुश्री आयुर्वेदिक क्लिनिक और पंचकर्म केंद्र में अभ्यास कर रही हैं। फिर उन्होंने 2018 में प्रज्ञा आयुर्वेद मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, इंद्रायणी नगर भोसरी की स्थापना की, जिसका उद्देश्य समग्र चिकित्सा के शुद्ध और प्राकृतिक तरीके से रोगियों का इलाज करना था। उन्हें इनफर्टिलिटी और एनोरेक्टल थेरेपी का विशेष अनुभव है।